मैं इस कदर दिल से चूर हो चुका हूँ;
की हर नाते से अब दूर हो चुका हूँ;
चराघ भी मुकद्दर रौशन नहीं करते;
मैं अब अंधेरों को मंज़ूर हो चुका हूँ;
जीना आता है हमें अब उनके बिना;
मैकशी के सहारे सबसे दूर हो चुका हूँ;
कह जाते हैं ज़माने वाले सौ बातें;
चुप सुनने को 'मजबूर' हो चुका हूँ;
गौरव मजबूर
मैकशी-शराब पीना